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मधुर सा

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बोल दो कुछ यों मधुर सा बंध सके जादू प्रहर का

ये मिलन के पल न जाने फिर कभी आयें न आयें

और यदि आयें पता क्या फिर हमें पायें न पायें

बोल दो कुछ यो मधुर सा बंध सके जादू प्रहर का

कट सके दुख जेठ ऐसी एक शीतल छांव दे दो

कह सकें अपना जिसे सुधि का अछूता गांव दे दो

बोल दो कुछ यों मधुर सा बंध सके जादू प्रहर का

जिंदगी बस है समय के हाथ एक कच्चा खिलौना (मिट्टी का)

कब गिरे बिखरे अनिश्चित सिर्फ तय है नष्ट होना

ऐसे समय में जहां नश्वर सभी कुछ फिर एक पल तो हो अमर सा

बोल दो कुछ यो मधुर सा बंध सके जादू प्रहर का
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